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''अगर मैं प्रधानमंत्री बनूं''

गरीबी, पिछड़ेपन, निरक्षरता, बीमारी और बेरोजगारी के विरुद्ध हमारी आधी से अधिक लड़ाई केंद्र से लेकर राज्‍यों और पंचायत तक हर स्तर पर शासन की गुणवत्ता में सुधार लाकर जीती जा सकती है. चुनाव परिणाम । शख्सियत । विश्‍लेषण । चुनाव पर विस्‍तृत कवरेज

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लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी

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सन्‌ 1987 में तब लोकप्रिय रही लेकिन अब बंद हो चुकी पत्रिका इलेस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया ने भारत की स्वतंत्रता की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर अपने विशेषांक के लिए मुझे 'मेरे सपनों का भारत' के बारे में एक लेख लिखने को कहा था. उस लेख की शुरुआत मैंने निम्नलिखित अनुच्छेदों से की.

लॉर्ड मैकाले ने कभी द्वेषपूर्ण टिप्पणी की थी कि मिडलसेक्स में एक एकड़ भूमि स्वप्नलोक में स्थित किसी राज्‍य से बेहतर होती है. व्यवहार कुशल राजनीतिक भले ही इस कथन से सहमत होना चाहें और स्वप्नदर्शियों का उपहास उड़ाना चाहें. लेकिन स्वतंत्र भारत इस तथ्य के प्रति अत्यंत सचेत है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विवेकानंद, अरविंद, टैगोर और गांधी सरीखे स्वप्नद्रष्टाओं के सपने ही राष्ट्र को उत्‍प्रेरित करते रहे हैं और अंततः उसकी मुक्ति में सहायक रहे हैं. इनमें से प्रत्येक महान मनीषी ने अपने अद्वितीय ढंग से सपनों के भारत-समूचे विश्व से सम्मान का अधिकार रखने वाले महान और शानदार भारत-का उल्लेख किया. मेरा मानना है कि भारत के संविधान निर्माताओं ने अपने इन सपनों को बहुत ही सक्षम ढंग से संविधान की प्रस्तावना में प्रस्तुत किया है, जिसमें उस दिन की ओर संकेत किया गया है जब सभी भारतवासीः

 -सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय प्राप्त कर पाएंगे;
 -सोच, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता पा लेंगे;
 -हैसियत और अवसर की समानता पाएंगे; और इन सभी चीजों को सबके लिए प्रोत्साहित करेंगे;
 -ऐसा भ्रातृत्व बनाएंगे, जिसमें व्यक्ति का गौरव और राष्ट्र की एकता पक्की हो.

राजनैतिक कार्यकर्ता होने के नाते मैं भावी भारत को लेकर गौरवपूर्ण ढंग से साध्य इस उच्च संकल्पना का पूर्णतः समर्थन करता हूं. मैं इसकी सिद्धि को लेकर एकदम लालायित हूं.

{mospagebreak}आज जब मुझे भारत के भविष्य को लेकर फिर से अपनी संकल्पना का खाका प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है तो मैं 22 वर्ष पूर्व लिखे गए अपने उस लेख के एक शब्द में भी परिवर्तन नहीं करना चाहूंगा. लेकिन सन्‌ 1987 और सन्‌ 2009 के बीच भारतीय राजनीति में क्या घोर परिवर्तन आ गया है. सन्‌ 1987 में मेरी पार्टी भाजपा के पास आठवीं लोकसभा में अत्यंत कम सांसद हुआ करते थे. 543 सदस्यों वाले सदन में तब उनकी संख्या मात्र दो थी. इसके विपरीत, पंद्रहवीं लोकसभा के लिए सन्‌ 2009 के चुनाव प्रचार के बीच इन पंक्तियों को लिखते समय भाजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों के साथ अगली सरकार के गठन की तैयारी करने वालों में सबसे आगे है.
 
वास्तव में, इलेस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया के लिए लेख लिखने के नौ वर्ष के भीतर ही भाजपा 1996 में कांग्रेस को पराजित करके एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर आई थी. इसके दो वर्ष बाद 1998 में भाजपा की अगुआई में राजग अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाने में सफल रहा. स्वतंत्र भारत के इतिहास में इसे किसी गैर-कांग्रेस गठबंधन की प्रथम स्थिर सरकार के बनने का गौरव प्राप्त हुआ. अपने छह वर्ष के शासनकाल में उसने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को अत्यंत सुदृढ़ किया (भारत को परमाणु शस्त्र संपन्न देश बना दिया), देश के आर्थिक विकास (राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं में जोरदार विस्तार) की गति में तेजी लाई तथा सामाजिक प्रगति को बल दिया (सर्वशिक्षा अभियान लागू कर सर्वत्र प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त किया).

इस समय जब भाजपा और राजग सन्‌ 2009 के लोकसभा चुनावों में अपने लिए एक और जनादेश मांगने में लगे हुए हैं, हमने मतदाताओं को अपना संदेश दिया है. और इस संदेश में तीन वादे किए गए हैं-अच्छा शासन, विकास और सुरक्षा. ये वादे वही हैं जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों और हमारे संविधान निर्माताओं ने जनता से किए थे. समग्र रूप से देखें तो वे हमारे राष्ट्र की आवश्यकताओं और हमारी जनता की आकांक्षाओं को पूरा करते हैं.
 
{mospagebreak}अच्छे शासन से मेरा अभिप्राय कानून के अनुसार चलने वाला ईमानदार और भ्रष्टाचार मुक्त शासन है. इसका अर्थ शासन की ऐसी प्रणाली और संस्कृति है, जिसमें सत्ता पर बैठे लोग अपने संकीर्ण हितों में या पक्षपाती ढंग से लोकतांत्रिक संस्थाओं का दुरुपयोग नहीं करते. लेकिन यूपीए सरकार बार-बार यही करती रही है. संस्थाओं को तहस-नहस करने का सबसे लज्‍जाजनक उदाहरण प्रधानमंत्री पद का अवमूल्यन और बोफोर्स भ्रष्टाचार कांड में प्रमुख अभियुक्त ओत्तावियो क्वात्रोच्ची को बिना सुनवाई के सीबीआइ के सहयोग से बरी कर दिया जाना है. अच्छा शासन देने के लिए सत्ता की बागडोर थामने वालों का कर्तव्य बनता है कि वे जनता का सशक्तिकरण करके लोकतंत्र को मजबूत करने और उसे अधिक उत्तरदायी, अनुक्रियाशील तथा सहभागिता योग्य बनाने का प्रयास करें. मेरा पक्का विश्वास है कि गरीबी, पिछड़ेपन, निरक्षरता, बीमारी और बेरोजगारी के विरुद्ध हमारी आधी से अधिक लड़ाई केंद्र से लेकर राज्‍यों और पंचायतों तक प्रत्येक स्तर पर शासन की गुणवत्ता और सामर्थ्य में सुधार लाकर जीती जा सकती है.

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भाजपा बाहरी और भीतरी दोनों स्तर पर राष्ट्रीय सुरक्षा को परम महत्व का मानती है. हमारे चुनाव घोषणा पत्र के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी और अवसंरचना संबंधी दूरदृष्टि वाले दस्तावेज भारत के द्रुतगामी विकास के लिए संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं. वे देश के समक्ष आर्थिक मोर्चे पर दो बड़ी चुनौतियों-शारीरिक रूप से समर्थ प्रत्येक व्यक्ति को लाभकारी रोजगार प्रदान करके गरीबी हटाने और विकास में सामाजिक-भौगोलिक असंतुलन हटाने-का समाधान प्रस्तुत करते हैं. कांग्रेस ने आम आदमी को लेकर शोर तो खूब मचाया, लेकिन सिर्फ खास आदमी को लाभ पहुंचाया है. रिजर्व बैंक के एक पूर्व गवर्नर ने पिछले वर्ष कहा था कि अमीर-गरीब के बीच खाई आज इस कदर चौड़ी हो गई है कि सबसे अमीर 20 भारतीय परिवारों की संपत्ति सबसे गरीब 30 करोड़ भारतीयों की कमाई से अधिक है. लेकिन मेरा सपना ऐसे समृद्ध भारत का निर्माण करने का है, जिसमें विकास का आधार व्यापक हो, जिसमें सभी समुदाय के गरीबों को राष्ट्र के संसाधनों पर पहला दावा करने का अधिकार हो.
 
आर्थिक विकास की हमारी रणनीति अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में अब आ रहे युगांतरकारी बदलाव को ध्यान में रखेगी. विश्व अर्थव्यवस्था का गुरुत्व केंद्र अब पश्चिमी देशों से हटकर एशिया की ओर आ रहा है. और यह बदलाव पलटने वाला नहीं है. ऐसी स्थिति के चलते भारत को अवसर मिला है कि वह एक या दो दशक के भीतर विश्व में नेतृत्वकारी आर्थिक और राजनैतिक शक्ति के तौर पर उभरने का प्रयास करे. लेकिन इन अवसरों को झपटने के लिए हमें समझते-बूझते हुए अपनी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का गुरुत्व केंद्र शहर केंद्रित कॉर्पोरेट क्षेत्र के संकीर्ण आधार से हटा लेना चाहिए और उसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कृषि एवं अन्य क्षेत्रों, छोटे एवं मझोले उद्यमों और गैर-सरकारी एवं असंगठित क्षेत्रों में ले जाना चाहिए. खासकर हमें भारत के मानव संसाधनों को उसके अनूकूल शिक्षा और उच्च स्तर की स्वास्थ्य सुविधाओं से समृद्ध करना होगा.

भाजपा को भारत की अमूल्य आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर गर्व है, जिसने किसी अन्य चीज के मुकाबले हमारी सभ्यता की इतिहास के अनेक उलटफेरों से रक्षा की है. इसलिए शासन और विकास का हमारा सपना मानव जीवन के मूल्यों और आदर्शों से निर्देशित होगा, जिसकी झलक गांधी जी की रामराज्‍य की अवधारणा में मिलती है. मैं उस उच्च आदर्श और आज की राजनैतिक व्यवस्था की वास्तविकता के बीच गहरी खाई से भलीभांति अवगत हूं. बहरहाल, उस खाई को पाटने का ईमानदारी से प्रयास करना ही हमारा लक्ष्य है.
 

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{mospagebreak}लालकृष्ण आडवाणी से 5 सवाल

भारत को आर्थिक संकट से उबारने के लिए आप क्या करेंगे?
हम बिजली, जल (नदी संयोजन), सड़कों, रेलवे, दूरसंचार और आइटी, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और ग्रामीण अवसंरचना के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व की 100 अवसंरचनात्मक परियोजनाएं शुरू करेंगे. हम उन्हें कार्यान्वित करने का अधिकार श्रीधरन सरीखे 100 लोगों को देंगे. रणनीति में बदलाव लाकर प्राथमिकताएं कृषि, लघु एवं मझोले उद्यमों और गैर-सरकारी क्षेत्र के अनुसार बनाई जाएंगी ताकि नए रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर पैदा हो सकें.

राष्ट्रीय सुरक्षा में भरोसा बहाल करने के लिए आप क्या पग उठाएंगे?
हमारी नीति आतंकवादी के प्रति असहनशीलता की होगी. हमारा मानना है कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बन गया है. हम आतंकवाद और नक्सली हिंसा से लड़ने के लिए कानूनी और प्रशासकीय उपायों का पूरी ताकत के साथ इस्तेमाल करेंगे. हम बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने के लिए कारगर कदम उठाएंगे.

आपराधिक मामलों में न्याय की स्थिति अराजक है. इस पर आप क्या सुझव देंगे?
हम तेजी के साथ मलिमथ समिति की सिफारिशें लागू करेंगे. न्याय मिलने में देरी करने वाली प्रक्रियाओं को हटाया जाएगा. पुलिस बलों को प्रशिक्षण , बेहतर उपकरण, हथियारों, अत्याधुनिक संचार प्रणालियों वगैरह-वगैरह से लैस किया जाएगा.

शासन को भ्रष्टाचार का घुन लगा हुआ है और उसमें जवाबदेही का अभाव है.  इसके बारे में आप क्या करेंगे?
भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और इंस्पेक्टर राज के जरिए सताया जाना बंद किया जाएगा. भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों से, जिनसे लोक सेवक जुड़े हुए हों, निबटने के लिए हम द्रुतगामी न्यायालय स्थापित करेंगे. इसके साथ ही अच्छे शासन से संबंधित व्यापक सुधार भी लाए जाएंगे ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिले.

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राजनीति का अपराधीकरण अब महामारी का रूप ले चुका है. आप इसका खात्मा कैसे करेंगे?
यदि आगे राजग की कोई सरकार निर्वाचित होकर आती है तो उसमें आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे व्यक्तियों को मंत्री नहीं बनाया जाएगा. राजनीति को अपराधमुक्त करने के लिए हम दूसरी राजनैतिक पार्टियों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि कोई कारगर समाधान निकल सके.

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